

उत्तेजना मनुष्य का वह शत्रु है, जो क्रोध को जन्म देता है | उत्तेजना से हमेशा कभी कोई काम नहीं होता | उसके लिए शांति की आवश्यकता होती है, और उत्तेजना हमेशा हानि ही पहुंचाती है |
राजू व शंकर दोनों भाई थे | लकड़ी काटने का काम किया करते थे | शंकर छोटा भाई था, और स्वभाव से थोड़ा चंचल औरजल्दी उत्तेजित हो जाता था | एक दिन एक बड़ा ग्राहक उनकी दुकान पर आता है, और उन्हें एक बड़ा काम देता है | यह काम अब तक उनकी दुकान पर कभी किसी ने नहीं दिया था| राजू ने डील की और काम को जल्दी पूरा करने की कोशिश का वादा किया | शंकर बाहर से लौटकर अपनी दुकान पर आया तो राजू ने डील के बारे में बात की शंकर खुश हुआ | और कहने लगा मैं इस काम को जल्दी ही पूरा कर दूंगा | ठीक है !
दोनों भाई अपने काम में लग जाते हैं| दोनों ने काम शुरू कर दिया | थोड़ी ही देर में वह ग्राहक वापस आता है | वह देखता है, कि उन्होंने काम को आधा पूरा कर दिया |ग्राहक ने सोचा अगर काम आज ही पूरा हो तो बहुत फायदा हो जाएगा | ग्राहक ने राजू से कहा क्या तुम मुझे यह काम आज पूरा करके दे सकते हो? और हां अगर नहीं दे सकते तो मुझे यह काम नहीं करवाना | मुझे बहुत नुकसान हो रहा है | यह बात सुनकर शंकर भी आ गया। उसने कहा आपने तो काम 2 दिन में पूरा करने को कहा था | आजकैसे हो सकता है | ग्राहक ने कहा मुझे नहीं पता, मुझे काम आज ही हो तो अच्छा नहीं, तो मुझे वापस जाना होगा |
इतना बड़ा काम को वे छोड़ना नहीं चाहते थे | शंकर यहां पर उत्तेजित होकर कहता है |आप जिद्द क्यों कर रहे हैं? हम पूरी कोशिश करते हैं, इसे पूरा करने की दोनों वापस काम में जुट जाते हैं | तभी अचानक मशीन मैं कुछ खराबी होने की आवाज आने लगी | राजू ने कहा तुम इस मशीन को बंद करो देखते हैं, क्या हुआ | शंकर कहता है, भैया कुछ छोटी सी दिक्कत है, मैं अभी ठीक कर देता हूं | राजू ने मना करने के बावजूद भी शंकर चालू मशीन वह देखने लगा और उसका हाथ जल्दबाजी में बलेड के सामने आ गया, पल भर भी नहीं लगा शंकर का हाथ कट गया| राजू ने दौड़कर मशीन बंद की और चिल्लाते हुए शंकर को संभाला। चिल्लाने से काफी आसपास के लोग इकट्ठा हो गए| राजू तुरंत शंकर को हॉस्पिटल लेकर गया और इलाज करवाया |शंकर की जान तो बच गई परंतु उसकी उत्तेजना ने उसका हाथ छीन लिया|