Corona in India | कोरोना विषाणूबद्दल माहिती | भारत में कोरोना का मूल कारण

b l kumawat

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Corona in India | कोरोना विषाणूबद्दल माहिती | भारत में कोरोना का मूल कारण

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Corona in India | कोरोना विषाणूबद्दल माहिती | भारत में कोरोना का मूल कारण

Corona in India
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आप भारत के किसी भी कोने से इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं, तो इसे ध्यानपूर्वक और पूरा पढ़ें। यह आर्टिकल हमारे भारत के लिए हर नागरिक की आवश्यकता है। इस आर्टिकल में कोरोना (Corona in India) की महत्वपूर्ण वजह के साथ इसके समाधान पर चर्चा प्रस्तुत की गई है। इसलिए इस लेख को पढ़ने के लिए आपको कुछ समय जरुर निकालना चाहिए। सभी भारतीयों को मिलकर इस महामारी से निपटने के साथ ही भविष्य में आने वाली ऐसी घातक बीमारियों से लड़ने की ताकत पहले से ही डिवेलप करनी होगी। (भारत में कोरोना विषाणु फैलने का कारण)

 कोरोना काल का समय इंसान जाति के लिए अब तक का सबसे बड़ा विकट समय है। इस संसार में 84 लाख योनियाँ जीवन यापन कर रही है। परंतु मानव जाति पर ही कोरोना वायरस का प्रभाव क्यों पड़ रहा है? क्या यह कोरोना काल इंसान के लिए एक सबक है। अगर ऐसा ही है तो फिर भारत में ही इसका इतना प्रभाव क्यों? भारत को छोड़कर सभी देशों ने कोरोना से लगभग जंग जीत ली है। फिर भारत क्यों नहीं जीत पा रहा है? विधि के विधान का घूमता हुआ चक्र क्या भारत पर ही प्रभाव डालेगा ? इस देश ने पहले भी कई घातक बीमारियों में काफी लोगों को खोया है। परंतु यह कैसा कालचक्र है जो बीमारी ना होने पर भी मार रहा है। महंगाई आसमान छू रही है। गरीबों का पेट सिकुड़ता जा रहा है।

 आप यह तो जानते ही हैं कि भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त है। परन्तु यह कोरोना काल का समय भारतीयों को बहुत कुछ सिखा रहा है। अगर आप नोटिस करेंगे तो आपको भारतीय होने पर नाज नहीं शर्मिंदगी महसूस होगी।

भारत के अलावा जितने भी देश हैं वह सभी अपनी संस्कृति पर आज भी कायम है। चीन, अमेरिका, जापान, इंग्लैंड सभी देश अपनी संस्कृति से प्यार करते हैं। इन देशों ने दूसरे देशों की संस्कृति का भरपूर सम्मान तो किया है। परंतु अपनी संस्कृति को कभी भी बदलने की कोशिश नहीं की गई। यहाँ हम भारतीयों ने अपनी संस्कृति को छोटा समझने की भूल कर दी है। आज भारत अकेला देश है। जहां पर विदेशों में अपनाई जाने वाली संस्कृति को कॉपी किया जाता है। इसी का नतीजा है कि भारत आज रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है। क्योंकि यहां पर खान-पान, दिनचर्या, चिकित्सा पद्धति, एजुकेशन सिस्टम सभी विदेशी संस्कृति की तर्ज पर चल रहे हैं। जिस देश में दुनिया की सबसे ज्यादा मिठाइयां बनाई जाती है। उस देश के लोगों को विदेशी मिठाई का प्रचार करने में गौरव दिखाई देता है।

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आज भारत में इतनी त्रासदी का मूल कारण है “एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति” ! जो भारत को और भारतीयों को बर्बाद कर देगी। एक बात समझ लीजिए एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के पास किसी बीमारी का सही इलाज नहीं है। अगर इसके  इस्तेमाल से एक बीमारी ठीक होती है, तो तुरंत दूसरी बीमारी का खतरा बढ़ जाएगा और भारत की मिडिल क्लास जनता इसका खर्चा वहन नहीं कर पाएगी।

 भारत में एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति मात्र 250 से 300 वर्ष पुरानी है और अभी से यह हाल है। तो सोचिए ! आने वाले समय में भारत का क्या होगा? हम भारतीयों का क्या होगा? जिस चिकित्सा पद्धति के पास किसी बीमारी का इलाज नहीं है। फिर भारतीय उसके पीछे क्यों पड़ रहे हैं?

अगर आपको और समझना है तो इस बात से समझिए, कोरोना काल में अधिकतर मौतें उन लोगों की हुई है जो हॉस्पिटल में भर्ती थे और एलोपैथिक ट्रीटमेंट ले रहे थे। अब आप सोचिए जिस हॉस्पिटल में जाने के बाद मरीज की जान बचनी चाहिए। परन्तु अधिकतर मौतें हॉस्पिटल से ही हुई है। इसी कोरोना काल में जो व्यक्ति घर पर रहकर कोरोना का इलाज कर रहे थे। उनमें से 95% लोग आसानी से ठीक हो गए। यह स्थिति बहुत बड़े प्रश्न को जन्म देती है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

 भारत की वर्षों पुरानी नहीं, सदियों पुरानी चिकित्सा पद्धति है, “आयुर्वेद” l (Ayurveda) मजे की बात यह है कि आयुर्वेद के पास हर मर्ज का इलाज है। आयुर्वेद के इस्तेमाल से साथ चल रही बीमारियां भी ठीक हो जाती है, ना कि दूसरी बढ़ती है। भारतीयों को यहां पर एक बात समझ लेनी चाहिए कि कोरोना जैसी भयंकर बीमारियां आने वाले समय में और भी आ सकती है। अगर इसी समय में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा नहीं दिया गया, तो भारत में इससे भी विकेट परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है। 

विदेशों में शुरू से ही एलोपैथिक पर जीते आ रहे हैं। इसलिए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उनके पास पैसा भी है ताकि एलोपैथिक ट्रीटमेंट ले सके। हमारे भारत में आज से आयुर्वेद को बढ़ावा मिलना चाहिए। आयुर्वेद हर एक एक भारतीय की जान बचाने में सक्षम है। हमारे एजुकेशन सिस्टम में आयुर्वेद की शिक्षा दी जानी चाहिए। ताकि, एक बच्चा शुरू से ही निरोगी रहने की शिक्षा प्राप्त कर सके और देश को एलोपैथिक जैसी घटिया चिकित्सा पद्धति से निजात दिला सके। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ही ऐसी पद्धति है जो भारत में किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए सक्षम है। अन्य किसी भी चिकित्सा पद्धति में ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो हम भारतीयों को स्वस्थ रख सके। इसलिए हम सभी भारतीयों को आज से ही निर्णय करना होगा कि आयुर्वेद को ज्यादा से ज्यादा विकसित किया जाये।

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