परिवार में बहू की सोच का जादू relationship

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परिवार में बहू की सोच का जादू relationship

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 दोस्तों जिस घर बेटा उस आंगन बहू सौभाग्य की बात है। जहां बहू होती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है और बहू की सोच परिवार के लिए बहुत अहम होती है। परिवार को सामाजिक,आर्थिक और लौकिक दृष्टि से सुचारू रूप से बहू ही चलाती है। आइए जानते हैं बहू की सोच परिवार पर किस तरह प्रभाव डालती है………..

1  परिवार के प्रति व्यावहारिक सोच

एक परिवार में बहु महत्वपूर्ण सदस्य होती है, जो पारिवारिक व्यवहार को भलीभांति चलाती है इस घर में कोई मेहमान आता है तो वो बहू कैसी है बहु बारे में जरूर पूछता है यहां पर बहू की तारीफ तभी होती है जब बहू का व्यवहार परिवार के साथ सुखद होता है और जिस घर में बहू की सोच अपने परिवार के प्रति सही नहीं है उस घर में  फूट जरूर पड़ती है जो किसी भी हद तक जा सकती है।

2  सदस्यों का सम्मान

बहु घर की लक्ष्मी होने के साथ-साथ घर की मर्यादा भी होती है बहू अपने से बड़ों का सम्मान करती है तो वह घर मर्यादित होता है और जिस घर में बहू बड़ों को कुछ नहीं समझती उनका सम्मान तो दूर उनको अपनी जबान से अपमानित करती है ऐसा घर दुखों का कारण व समस्याओं का घर होता है इस घर में अंधेरा ही रहता है और जल्द ही परिवार बिखर जाता है।

3  संस्कारों का स्वरूप

जिस घर में बहू होती है उस घर में दो संस्कार होते हैं बहू जहां से उसने शादी से पहले के संस्कार को अपनाएं अपने मायके के संस्कार फिर ससुराल के संस्कार इन दोनों संस्कारों को ध्यान में रखकर ही बहू अपने कार्यों को अंजाम देती है जिस घर में पहले से ही क्लेश होता हो ऐसे घर की बहू आने पर वह ससुराल में भी जरूर क्लेश करेगी यह एक अटल पहचान होती है बहू के संस्कार परिवार पर गहरा प्रभाव डालते हैं इन्हीं संस्कारों को ध्यान में रखकर बहू परिवार का वंश आगे बढ़ाती है और बच्चों को उसी प्रकार के संस्कार देती है बहू के जितने उत्तम संस्कार होंगे संताने इतनी ही उत्तम व आज्ञाकारी होती हैं।

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