
Hindi Kahani | राजा द्वारा ली गई परिक्षा में मारा गया एक बेईमान मंत्री
Hindi Kahani दोस्तों चार मंत्रियों के द्वारा राजा का विरोध करने पर राजा ने ली ऐसी परीक्षा की एक मंत्री ने अपनी जान गवा दी। यह कहानी कार्य को करने व कार्य के प्रति जो सोच रखी जाती है, उसे हमारे सामने बखूबी प्रस्तुत करती है। आइए पढ़ते हैं यह मजेदार व ज्ञानवर्धक कहानी (Hindi Kahani) Motivational & Inspiratioal Hindi Story
बहुत ही खूबसूरत वनस्पति के बीच एक बहुत बड़ा राज्य था। जिस के राजा थे आदित्यनाथ। ये ऐसे राजा थे जो कभी किसी को फालतू में तकलीफ पहुंचा दे, उन्हें उनकी ही जुबानी में समझाएं करते थे। राजा के मंत्रिमंडल में मुख्य तौर पर चार मंत्री थे। 1. ब्रह्म दास 2. चरण दास 3. सुमित्र दास और 4. नंद दास। राजा को कभी भी कोई उलझन होती तो वह इन चारों मंत्रियों से ही मंत्रणा करते थे।
धीरे-धीरे समय बीतता गया राजा अब ज्यादा मंत्रणा अपने मुख्यमंत्री ब्रह्म दास से करने लगे बाकी अन्य तीन मंत्रियों से राजा बस कुछ ही विषय पर मंत्रणा करने लगे इसका कारण था कि ब्रह्मदास राजा को सही वह शास्त्रार्थ व निष्ठा के साथ ही सुझाव दिया करते थे। बाकी तीनों के विचारों में राज्य भक्ति नहीं दिखाई देती थी।
समय की विकट परिस्थितिया ऐसी बनने लगी कि बाकी तीनों मंत्रियों ने राजा से अपने स्वामी भक्ति होने का ढोंग करने लगे और अपने अन्य व्यसनों में समय बिताने लगे। अब राजा ने कुछ दिनों के लिए तीनों मंत्रियों से वार्तालाप बिल्कुल ही बंद कर दि। इस कारण अब तीनों ने राजा से कहा कि आप हमारी स्वामी भक्ति पर संदेह कर रहे हैं और आप सिर्फ ब्रह्मदास को ही अपना हितेषी समझते हैं। हम क्या आपके राज्य में महत्वहीन हो गए हैं? राजा ने सारी बातें सुनी और इसका फैसला कुछ दिनों में करेंगे।आप 3 दिन बाद इसी दरबार में हाजिर होना। तीनों को लगा कि राजा अब हमारे सामने झुकेगा राजा ने योजना के अनुसार तीनों मंत्रियों सहित ब्रह्म दास को भी दरबार में हाजिर होने को कहा।
दरबार में चारों मंत्री राजा के सामने खड़े थे राजा ने तीनों मंत्रियों से कहा कि आप चारों को अलग-अलग चार बागों में सेव व अन्य फल इस झोले में भरकर लाने हैं। ये झोला आप सभी को एक ही नाप का दिया जा रहा हैं। राजा ने चारों मंत्रियों को एक-एक झोला देकर बाग में भेज दिया। चारों मंत्री अपने-अपने खूबसूरत बागों में फल लेने चले गए
जैसे ही चारों मंत्री बाग पर पहुंचे तो माली ने उन्हें रोक दिया कि आप बिना आज्ञा के फल नहीं तोड़ सकते। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नंददास व सुमित्र दास ने मालिक को अपने मंत्री पद की ताकत दिखा कर मारना पीटना शुरू कर दिया। प्रताड़ित होने की वजह से माली ने उन्हें फल तोड़ने की इजाजत दे दी। ( Hindi kahani) और कहानियाँ पढें
इधर दूसरे बाग में चरणदास को भी माली के रोकने पर थोड़ा विनम्रता से पेश आते हुए कहने लगा कि राजा का आदेश है तो माली ने उन्हें फल तोड़ने की इजाजत दे दी। ब्रह्म दास को जब माली ने रोका तो उन्होंने कहा कि आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ फल राजा को भेंट करना चाहता हूं। माली ने ब्रह्म दास के विनम्रता पूर्ण आग्रह के कारण इजाजत दे दी और अच्छे व स्वादिष्ट फलों के वृक्षों के बारे में भी जानकारी दी। ब्रह्म दास ने स्वस्थ व अच्छे ताजे फल तोड़ना शुरू कर दिया। झोला काफी बड़ा था तो ब्रह्मदास ने सोचा कि क्यों ना मैं इसे मोटे व स्वास्थ्यवर्धक फलों से भर लेता हूं। तो वे इसी प्रक्रिया में लग गए।
इधर चरण दास ने भी कुछ अच्छे कुछ कटे फलों को तोड़कर अपना झोला भरने लगे। पर ये अपने झोले को पुरा नही भर पाये आधा ही भर पाए। बाकी दो मंत्रि सुमित्र दास व नंददास ने सोचा कि राजा को कोई फल नहीं चाहिए वह क्या करेंगे उन्होंने तो बस हमें बगीचे में सैर करने भेजा हैं। ठंडी हवा चल रही हैं थोड़ी देर आराम कर लेते हैं। फिर चलेंगे काफी देर बाद दोनों उठे तो देखा कि शाम हो गई और कोई फल नहीं तोड़े। तो उन्होंने जो फल कटे गले व पक्षियों के कटे फल जमीन से उठाकर अपने झोले में भर लिये। नंद दास ने तो सारी हदें पार कर दी और सिर्फ छह सात फलों को ऊपर रखकर नीचे कुछ फलों की आकृति वाले गोल पत्थरों से झोले को भर लिया और शाम होते ही चारों बगीचे से निकल गए।
अब चारों राजा ने के सामने जाकर खड़े हो गए राजा ने कहा आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई सभी ने कहा नहीं महाराज हम सकुशल हैं। राजा ने कहा आप सभी ने काफी मात्रा में फल तोड़े हैं। अच्छी बात है। राजा ने सैनिकों से कहा कि इन चारों मंत्रियों को अलग-अलग कारावास में डाल दो। इनको 10 दिन तक कोई भोजन नहीं मिलेगा इनके पास जो फल हैं उसी से इन्हें गुजारा करना हैं। अब मंत्रियों को 10 दिन के लिए कारावास में डाल दिया
नंददास के पास तो 6-7 फल ही थे। बाकी पत्थर थे 2 दिन तो सही से निकले बाकी 8 दिनों में उनकी क्या हालत होगी ?
इधर जिसके पास जितने फल थे इतने दिन तो ठीक थे पर बाकी समय में उनकी हालत खराब होने लगी। बड़ी मशक्कत के बाद 10 दिन बीत गए। अब राजा ने बारी-बारी खुद जाकर कारावास को खोलने लगे पहले नंददास कारावास को देखा तो नंददास तो भगवान को प्यारे हो गए। सुमित्र दास सड़े गले फल खाने से बहुत तेज मरणासन्न बीमार हो गए। इधर चरण दास के पास 3 दिन की भूख थी। क्योंकि उनके झोले में सिर्फ सात दिन के फल थे। अब अब बारी आई ब्रह्म दास की। ब्रह्म दास के कारावास खोला तो ब्रह्म दास के पास बहुत सारे फल बचे हुये थे। और वह बिल्कुल स्वस्थ और तंदुरुस्त निकले ।
MORAL
अब राजा ने प्रजापति उसे कहा कि जो जैसा सोचता हैं वैसा ही कर्म करता हैं। इन चारों मंत्रियों की सोच और कर्मों का परिणाम आपके सामने है। सभी ने अपने कर्मों से ही यह स्थिति पाई है। हमने सभी को बराबर झोला दिया व अच्छे बगीचे दिए। बस मेहनत व कर्म इन्हें करना था। सभी अपने कर्मों की गति से ही सुख-दुख का आह्वान करते हैं। नंददास जो कि मर गए उन्होंने सोचा था कि राजा बेवकूफ बना देंगे पर उनके कर्म ही उन्हें ले डूबे।
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