Neem Karoli Baba | नीम करोली बाबा की कहानी, परिवार, गुरु, शिष्य, चमत्कार जाने

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Neem Karoli Baba Ki Kahani
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Neem Karoli Baba | नीम करोली बाबा की कहानी, परिवार, गुरु, शिष्य, चमत्कार जाने

Neem Karoli Baba

नैनीताल के सुप्रसिद्ध नीम करोली बाबा के भक्त देश से ज्यादा विदेशों में है। भारत सहित कई अन्य देशों में भी जानी-मानी हस्तियां बाबा की भक्त हैं। नीम करोली बाबा के चमत्कार, उनकी लीलाएं काफी प्रसिद्ध है। बाबा ने कठीन तप कर कई सिद्धियां प्राप्त की लोक कल्याण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एप्पल के संस्थापक और बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड की कई हस्तियां भी बाबा के दर्शन के लिए उनके आश्रम पहुंच चुकी है। अमेरिकी बिजनेस टायकून और एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) को भी Neem Karoli Baba के प्रति गहरी श्रद्धा है। आज हम Karoli Baba के बारे में कई जानकारियां आपको देंगे। जिनमें नीम करोली बाबा की कहानी, कैंची धाम, क्यों प्रसिद्ध है, परिवार, आश्रम, गुरू, जैसी कई जानकारियों के लिए आर्टिकल आखिरी तक जरूर पढ़ें।

नीम करोली बाबा कौन है? | Who is Neem Karoli Baba

Neem Karilo Baba Kon Hai:- चमत्कारिक बाबा कहे जाने वाले करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में 1900 के आसपास बताया जाता है। उन्हें बीसवीं सदी का महान गुरु और दिव्यदर्शी माना गया है। वे हनुमान जी की पूजा किया करते थे लेकिन बाबा के शिष्य उन्हें ही हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा ने 108 हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण कराया। 17 साल की उम्र में ही बाबा ने घर छोड़ कर साधुओं की तरह विचरण करना शुरू कर दिया था, इसी उम्र में ही उन्हें ज्ञान प्राप्ति भी हुई। अनोखे चमत्कारों के चलते भक्तों की बाबा के प्रति श्रद्धा है। बाबा का असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा है.

Neem Karoli Baba Biography in Hindi

लेखनीम करोली बाबा जीवन परिचय
असली नामलक्ष्मण नारायण शर्मा (Lakshmi Narayan Sharma)
प्रसिद्ध नामनीम करोली बाबा, महाराज जी, हांड़ी वाले बाबा
जन्म1900 के आसपास, अकबरपुर, उत्तर प्रदेश
निधन11 सितंबर 1973, वृंदावन
आश्रमकैंची धाम, नैनीताल

नीम करोली बाबा की कहानी

Neem Karoli Baba Ki Kahani:- नीम करोली बाबा कैंची धाम उन्होंने भारत में कई जगहों का दौरा किया। उत्तराखंड के नैनीताल (Nainital) के पास कैंची धाम (Kainchi Dham) काफी प्रसिद्ध है यहां नीम करोली बाबा का आश्रम मौजूद है। 1961 में वे यहां पहली बार आए और अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर 1964 में यहां आश्रम की स्थापना की। कैंची धाम नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर दूर है. 15 जून को पावन धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस दिन देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है।

देश-विदेश से भक्त यहां आते हैं। बाबा के भक्तों ने यहां हनुमान जी का भव्य मंदिर बनवाया है। ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस आश्रम में हनुमान जी के अलावा भगवान राम-सीता माता और देवी दुर्गा के भी छोटे-छोटे मंदिर है। बाबा का समाधि स्थल नैनीताल (Nainital) के पास पंतनगर में है। कहा जाता है कि यहां मुराद लेकर आया कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता। समाधि स्थल के साथ ही यहां बाबा की एक भव्य मूर्ति स्थापित है साथ ही यहां हनुमान जी की मूर्ति भी है।

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नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?

Why is Neem Karoli Baba Famous:- हनुमान जी का अवतार माने जाने वाले नीम करोली बाबा के चमत्कारों के कारण लोगों की उनमें गहरी श्रद्धा है और यही उनकी प्रसिद्धि का कारण भी है. बाबा नीम करोली के नाम के साथ कई चमत्कार जुड़े हैं स्थानीय लोगों और भक्तों का दावा है कि एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम (Kainchi Dham) में घी की कमी पड़ गई थी बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से पानी का कनस्तर भरकर लाया गया, उससे जब प्रसाद बनाने लगे तो वह घी में बदल गया।

इसके अलावा एक बार नीम करोली महाराज ने अपने भक्तों को गर्मी की तपती धूप से बचाने के लिए बादल की छतरी बनाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया था। एक बार बाबा नीम करोली फर्रुखाबाद के दौरे पर थे। किसी ने बाबा को बताया कि यहां एक कुआं है जिसका पानी बहुत ही खारा है तब बाबा नीम करौली ने अपने एक शिष्य को कहा कि इस कुएं में एक बोरी चीनी डाल दो पानी मीठा हो जाएगा और वास्तव में उस कुएं का पानी मीठा यानी कि पीने योग्य हो गया।

नीम करोली बाबा के बारे में क्या खास है?

बाबा के चमत्कारिक होने और उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा उनके भक्तों को देखकर ही लगाया जा सकता है देश-विदेश में और कई जानी-मानी हस्तियां उनकी भक्त हैं जो उनमें गहरी श्रद्धा रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, (PM Nrendra Modi) एप्पल के संस्थापक और बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड की कई हस्तियां भी बाबा के दर्शन के लिए उनके आश्रम पहुंच चुकी है। हाल ही में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) ने वृंदावन में नीम करोली बाबा के समाधि स्थल (Neem Karoli Samadhi) के दर्शन किए थे।

अमेरिकी बिजनेस टायकून और एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) को भी बाबा नीम करोली के प्रति गहरी श्रद्धा है। Facebook के CEO मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) भी नैनीताल स्थित बाबा नीम करौली के मंदिर में माथा टेकने गए थे। लैरी ब्रिलिएंट की पत्नी को भी बाबा नीम करौली के प्रति श्रद्धा है। मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स (Julia Roberts) भी मन की शांति के लिए नैनीताल स्थित बाबा नीम करौली के धाम की यात्रा कर चुकी है।

नीम करोली बाबा का परिवार | Neem Karoli Baba Family

उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में जन्मे नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा (Laxmi Narayana Sharma) था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 साल की आयु में ही इनका विवाह हो गया था वहीं 17 साल में ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। नीम करोली बाबा के 2 पुत्र अनेग सिंह शर्मा व धर्म नारायण शर्मा थे और उनकी एक पुत्री गिरजा थी। आपको बता दें कि 1960 से 1970 के दशक में इनकी लोकप्रियता विदेशों में भी फैलने लगी।

नीम करोली बाबा के गुरू | Neem Karoli  Baba Guru

() 17 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया था। भगवान श्री हनुमान उनके गुरु थे। वहीं बाबा के भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते थे। जब भी कोई भक्त बाबा नीम करौली के पैर छूता था तो वह उसे मना कर देते थे और भगवान हनुमान के पैर छूने के लिए कहा करते थे। अपने जीवन काल में उन्होंने 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया था। लाखों फॉलोअर्स के बावजूद वे आडंबर से दूर रहना पसंद करते थे और एक आम इंसान की तरह ही रहा करते थे। नैनीताल (Nainital) में बाबा नीम करोली की समाधि के पास भगवान हनुमान की मूर्ति की स्थापना भी की गई है।

नीम करोली बाबा आश्रम कहां है? | Neem Karoli Baba Ashram

उत्तराखंड में हिमालय की सिल्वन तलहटी में स्थित नीम करोली धाम (Neem Karoli Dham) नाम का छोटा सा आश्रम है। मंदिर के प्रांगण में भरपूर हरियाली और इसके चारों और साफ सुथरा माहौल है। यहां तक कि यहां कोई टेलीफोन लाइन नहीं है जिससे यहां बाहरी दुनिया से कोई परेशान नहीं हो सकता। कैंची धाम नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर दूरी पर है। अपनी यात्रा के यात्रा के दौरान 1961 में बाबा यहां पहली बार आए थे और अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर 1964 में नीम करोली बाबा आश्रम (Neem Karoli Baba Ashram) की स्थापना की थी। इस आश्रम में हनुमान जी के अलावा भगवान राम-सीता और देवी दुर्गा के भी छोटे मंदिर है।

बाबा नीम करोली की कहानी

Baba Neem Karoli की अनोखी कहानी जिसमें चमत्कार देखा गया। बाबा फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में थे। उन्हें बीना टिकट का पाकर टीसी ने उन्हें ट्रेन से उतर जाने के लिए कहा। जिसके बाद वे ट्रेन से उतर कर अपना चिमटा गढ़ाकर वहीं बैठ गए। जिसके बाद गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखा दी लेकिन ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। जब भरसक प्रयास के बाद भी ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। तो एक व्यक्ति जो बाबा को जानता था उसने टीसी से कहा कि बाबा से माफी मांग कर उन्हें अंदर बैठा लो और सम्मान पूर्वक जैसे ही बाबा को अंदर बिठाया, ट्रेन आगे चल पड़ी। तभी से इनका नाम नीम करोली बाबा पड़ गया कुछ वक्त के बाद यहां पर नीम करोली के नाम से स्टेशन भी बनाया गया।

FAQ’s नीम करोली बाबा की कहानी

Q. कैसे पहुंचे कैंची धाम?

Ans. उत्तराखंड राज्य के उत्तरी भाग के कुमाऊं क्षेत्र में काठगोदाम तक जाने के लिए उत्तर रेलवे की नियमित ट्रेनें उपलब्ध है। वहां से कैंची तक पहुंचने के लिए 2 घंटे की दूरी बस से तय करना होगी। जहां आश्रम बस स्टॉप के पास ही है. पर्यटक या तो पंतनगर तक उड़ान भर सकते हैं और फिर टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। इसके अलावा काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं और फिर नीम करोली बाबा आश्रम तक पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ली जा सकती है। आश्रम के लिए नैनीताल से निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो कि 37 किलोमीटर पर है कहीं बस स्टैंड की बात करें तो नैनीताल बस स्टैंड 18 किलोमीटर पर है। नैनीताल से निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा 71 किलोमीटर पर है।

Q. नीम करोली बाबा का जन्म कहां हुआ?

Ans. नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में 1900 के आसपास बताया जाता है। उन्हें बीसवीं सदी का महान गुरु और दिव्यदर्शी माना गया है।

Q. नीम करोली बाबा के परिवार में कौन था?

Ans. 11 साल की आयु में ही इनका विवाह हो गया था वहीं 17 साल में ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। नीम करोली बाबा के 2 पुत्र अनेग सिंह शर्मा व धर्म नारायण शर्मा थे और उनकी एक पुत्री गिरजा थी। आपको बता दें कि 1960 से 1970 के दशक में इनकी लोकप्रियता विदेशों में भी फैलने लगी।

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