मुस्कुराहट में क्रोध को छिपाने कि कला।

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मुस्कुराहट में क्रोध को छिपाने कि कला।

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जब कोई हमारे कार्य में बाधा उत्पन्न करता है|तो वहां पर उत्तेजना जन्म लेतीहै।और यह उत्तेजना क्रोध को जन्म देती है| उसे जागृत करती है| इससे बनते सारे काम बिगड़ जाते हैं|                              ( art of smile best hindi articles )

राकेश एक बड़ा इंजीनियर है| उसने पढ़ाई में काफी मेहनत की और आज एक सफल इंजीनियर बन गया| राकेश ने करीब 5 वर्ष तक एक लिमिटेड कंपनी में चीफ इंजीनियर की पोस्ट पर काम किया| उसे लगा कि मुझे ही कोई सरकारी प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिए| क्योंकि मैं  कब तक नौकरी करूंगा| मुझे अब अपने खुद के काम के बारे में सोचना चाहिए|

राकेश ने सरकारी कार्य लेने का फैसला किया।और उसने अपनी कंपनी बनाना शुरू कर दिया| यह कंपनी सरकारी दफ्तरों के बीच में से निकलने वाली थी| राकेश ने पूरी तैयारी के साथ इन दफ्तरों के चक्कर लगाना शुरू कर दीया| कोई सरकारी कर्मचारी राकेश का काम कुछ देर में ही कर देते। और कुछ कर्मचारी उसे आज नहीं होगा, कल या परसों आना यह कह कर टाल देते| अब राकेश की फाइल इन दफ्तरों में आखरी दरवाजे तक पहुंच गई| राकेश को लगने लगा कि अब  मेरी खुद की कंपनी व प्रोजेक्ट का सपना जल्दी ही सफल हो जाएगा।परंतु यहां पर कुछ और ही घटित हुआ|

राकेश की प्रोजेक्ट फाइल इस आखरी दरवाजे पर आकर रिजेक्ट हो गई| राकेश बड़ा परेशान हुआ सोचा आखिर  ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो सारी तैयारी की थी| राकेश ने उस सरकारी अफसर के पास जाने की  सोची और वहां पर गया|  राकेश ने कहा श्रीमान आपने मेरी फाइल को रिजेक्ट कर दिया। परंतु मेने तो गाइड लाइन के मुताबिक ही सारा प्रोजेक्ट किया है| यह बातें सुनकर पुरुषोत्तमशर्मा जो की सरकारी ऑफिसर था। उसने कोई जवाब नहीं दिया| राकेश ने फिर  पूछा उधर से कोई जवाब नहीं आया| राकेश गुस्सा होने लगा। उसे लगा कि मैं इसे एक  तमाचा मारदूं|

राकेश को गुस्से मे देखकर पुरुषोत्तम ने मुंह से पान थुकते हुए कहा,देखो भैया मैंने आपकी फाइल देखीहै। उसमें बहुत सी कमियां है| यह काम आपको नहीं मिल सकता| यह सुनकर राकेश को फिर गुस्सा आया। और अब उसके स्वर में बदलाव आने लगा| राकेश बोलता है, आखिर कमी क्या है इसमें यह तो बताओ। 3 दिनों से यही  घुमा रहे हो मुझे। पुरुषोत्तम बोलता है,तुम्हारी फाइल में जो कमी है, वह सिर्फ मैं पूरी कर सकता हूं।और कोई नहीं कर सकता| क्योंकि यह आखिरी स्टेज पर है। और मेरे पास 2 माह तक समय नहीं है। कि मैं इसे ठीक कर सकूं ठीक है |  अब तुम्हें जो करना है करो जहां पर जाना है जाओ,जिसे कंप्लेंट करनीहै करो, और मुझे काम करने दो| इतना कहकर वह राकेश को जाने को कहता है|

राकेश दुखी होकर अपने घर पर आ जाता है| राकेश को दुखी देखकर उसके पिताजी बड़े ही आश्चर्य में थे| वे राकेश के पास आए और बोले,बेटा कुछ  परेशान दिखाई पड़ते  हो। क्या बात है,  आज दुखी क्यों हो| राकेश के पिता धार्मिक प्रवृत्ति के थे| तो उनका  विवेक उज्जवल था| राकेश ने कहा, पिताजी यह सरकारी कर्मचारियों ने नाक में दम कर रखा है| एक प्रोजेक्ट के लिए फाइल तैयार की थी। जो अब लगभग  पूरी होने ही वाली थी। एकपुरुषोत्तम नाम का अधिकारी कहता है,कि मैं 2 माह बाद आपका काम करूंगा| अब पिताजी आप ही बताओ मैं 2 माह तक कैसे इंतजार कर सकता हूं| पिताजी ने कहा बेटा आप इस तस्वीर को देखो। वहां  जो दीवार पर रखी है, किनकी है| राकेश ने कहा यह तो भगवान विष्णु की तस्वीर है| पिताजी बिल्कुल उनके मुख को देखो, वह पूरे संसार का दुख सुख दर्द क्रोध सभी सह कर मुस्कुराते हैं|

तुम्हारे क्रोध करने से काम बिगड़ जाएगा| तुम अपने क्रोध को अपनी मुस्कुराहट के पीछे छुपा लो फिर देखो कैसे काम बनता है| राकेश को अब सब समझ आ चुका था| वह तुरंत दूसरे दिन सुबह ही मिठाई  व दो  पान  के साथ दफ्तर पहुंचता है। राकेश के मन में गुस्सा तो था पर मुस्कुराहट ने दबा दिया| राकेश पुरुषोत्तम को जा कर गुडमॉर्निंग सर कहता है। और कहता है, क्या बात है सर, आज तो आप काफी खुशसूरत शर्ट में हो। सर मैं रास्ते में आ रहा  था। तो आपके लिए यह मिठाई ले आया| मैंने सोचा आपको पसंद आएगी । और यह आपके दो फेवरेट दुकान  के पान। सर आप खाइए, और मैं चलता हूं|  पुरुषोत्तम को बड़ा आश्चर्य हुआ अरे यह तो चलने की बात कह रहा है|  पुरुषोत्तम ने कहा ठीक है आप जाओ|

राकेश वहां से चला जाता है| करीब रात को 8:00 बजे राकेश को फोन आता है।वो और कोई नहीं खुद पुरुषोत्तम ही थे| उन्होंने कहा राकेश तुम्हारी फाइल  को मैंने आज ठीक कर दिया है। और आप कल सुबह आकर फाइल ले जाए| राकेश बड़ा खुश हुआ। औरपिताजी को जाकर कहताहै। पिताजी आपका फॉर्मूला काम कर गया। और मेरा काम हो गया|

तो देखा दोस्तों राकेश की मुस्कुराहट का नतीजा |

 

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