Positive Thinking | सकारात्मक विचार | 3 तरीके जो विचारों को पॉजिटिव बना दे

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Positive Thinking | सकारात्मक विचार | 3 तरीके जो विचारों को पॉजिटिव बना दे

बहुत लोग ऐसे हैं जो हर वक्त अपना ज्यादा समय कुछ सोचते रहने में ही लगाते हैं। ऐसे लोग कुछ न कुछ मंथन अवश्य कर रहे होते हैं। सोचना हर व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार तो हैं, परन्तु क्या सोचना हैं इस पर मंथन जरुरी हो जाता हैं |   आइए कुछ बिंदु से इस मंथन करने के सही तरिके समझते हैं | जानते हैं सकारात्मक विचारों (Positive Thinking) की कला>>>

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                 कुछ भी सोचने से पहले इंसान को ये सोचना चाहिय की आखिर सोचना कैसे हैं, ताकि जीवन को उदेश्य दे सके| सफल लोगो की पंक्ति में खुद को खड़ा कर सके | 

1 . दिशा युक्त मंथन (Directed brainstorming)

हर इंसान को इसमें पूर्ण आजादी है कि वह मंथन कर सकता है। पर यह जानना बहुत अहम है कि किस दिशा में मंथन किया जा रहा है। “अगर मंथन अपने को कोसने,अपने को नीचा दिखाने, खुद को अभाग्यशाली समझते हुए मंथन हो रहा है, तो वह अपनी तकलीफ को और बढ़ा रहे हैं।” ऐसे मंथन से ढेला भी नहीं मिलने वाला | जो लोग मंथन अपने विचारों को शुद्धिकरण व खुद को कुछ बनाने के लिए कर रहे हैं, तो वे अपने जीवन में एक नई दिशा की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उनके मंथन में एक दिशा है जो उन्हें रास्ता भी दिखाएगी और कामयाब भी बनाएगी। क्योंकि दोस्त, मंथन एक ऐसी शक्ति है जो इंसान को अवश्य ही रिटर्न में बहुत कुछ देती है | इस शक्ति का जैसे इस्तेमाल किया जाएगा वैसा ही परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। इसलिए सोच दिशा पूर्ण होनी चाहिए जो पथिक को यथावत पंहुचा सके |

2 . कुछ पाने युक्त मंथन (Churning to get something )

जो लोग खुद को कौसने के लिए ही सोचते रहते हैं। उनके लिए बता दूं कि वह लोग सिर्फ अपने जज्बातों का कत्ल कर रहे हैं। वे लोग सिर्फ अपने जीवन में अंधेरे को और बढ़ा रहे हैं | जो लोग जीवन में कुछ पाने के लिए मंथन कर रहे हैं, वह जरूर अपने जीवन को प्रतिष्ठित बनाएंगे। एक बात हमेशा याद रखने हेतु:- “जो कुछ पाने युक्त मंथन होगा उसी दिशा में विचारों की श्रंखला बनती हुई चली जाएगी।”

3 . मंथन विषय (Brainstorming topic)

हर मंथन में आवश्यक नहीं कि अपने अनुकूल ही प्राप्ति हो। यहां पर विष के रुप मे नकारात्मक विचारों से भी सामना करना पड़ता है। अब देखना यह है कि इन विचारों को कितना शुद्ध कर पाते हैं। जो नकारात्मक विचारों को शुद्ध कर लेता है, वह अपने जीवन में सकारात्मक सफलता को देख पाते है। आपने सुना ही होगा जब देवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था। हालांकि ये मंथन अमृत की प्राप्ति के लिए था, परंतु जब विष निकला तो कोई देवता उसे पीने को तैयार नहीं थे। और ना ही कोई समाधान ढूंढ पा रहे थे। तब भगवान शिव ने ही विष पिया था | यहां पर सीखने वाली बात यह है:- “जो देव नहीं पी सके वे देव ही हैं और शिव ने विष पिया तो वो महादेव हो गए।”

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