Motivational Poem in Hindi | जीवन को बेहतर बनाती 5 हिंदी कवितायें
Motivational Poem in Hindi
1. भाग्य के ललाट पर कर्म की रेखा

जीतूंगा मैं अपने भाग्य को अपने कर्म से
चला मैं अब, तेज हवा की रफ्तार से
दूंगा बना अब मैं, मिटी भाग्य की सुरेखा
खींचनी तो है आज, भाग्य ललाट पर कर्म रेखा ।।
गिर कर उठना तो अब फैशन हो गई हैं
मजबूत हूं चलू रेंग कर भी, ऐसी तैयारी हो गई हैं
कटे पंखों से उडूं, ऐसी ली है मैंने शिखा
खींचनी तो है आज, भाग्य ललाट पर कर्म रेखा ।।
बजे उद्घोष अब नाम का भी मेरा
जगमगाए सितारा अब नाम का भी मेरा
हवाओं ने हैं रुख बदला, आएगी अब बरखा
खींचनी तो है आज, भाग्य ललाट पर कर्म रेखा ।।
2. मैं जगा अब
मैं जग गया हो ना हो अब सवेरा
रोशनी दिखी, अब दूर हो ना तिमर अंधेरा
जज्बा जोश जुनून की रोशनी, रही फैल अब
मैं जगा अब, रात अंधेरी ही क्यों ना हो अब ।।
नाम कमाने का फरमान चढ़ा तन मन में
ओढी चादर कर्म की, बिठाया अब जहन में
चाहे चादर हो ना हो अब पैरों तक
मैं जगा अब, सुबह की भोर होने तक ।।
गिरना उठना तो पहचान है पुरुषार्थ की
मायूसी में सोना, यह तो नींद स्वयं स्वार्थ की
हो ना नींद अब, सपना सच पूरा होने तक
मैं जगा अब, सच सपने की तारीफ सुनने तक ।।
3.अभी नहीं तो कभी नहीं
है जीवन एक रूप दूजा कोई सार नहीं
सदुपयोग हो समय का, बर्बादी में कोई लाभ नहीं
उपयुक्त समय क्षिण हो रहा, लौटे फिर कभी नहीं
है पहचान करने का समय यही, अभी नहीं तो कभी नहीं ।।
जाग मुसाफिर पीछे छूट रहा है तू
समय की कसौटी पर पांव पसार रहा है तू
सोकर बना कोई श्रेष्ठ, ऐसा कभी होता नहीं
जीवन को दे सही दिशा, अभी नहीं तो कभी नहीं ।।
जिया जीवन दोबारा ना मिले कभी
सुखद समय की सौगात, ना मिले फिर कभी
बिना कर्म हो आशापूर्ण, ऐसा कभी होता नहीं
भटकाव हो अभी दूर, अभी नहीं तो कभी नहीं ।।
4.तू चल सके तो चल
मंजिल में तूफान हैं बड़े
तू सह सके झोंखा तो चल
साथ नहीं है डगर पर
तू रह सके अकेला तो चल
साथ ले भावना जज्बातों को तू
सह सके दर्द तो फिर चल
सोच ले मंजिल आसान नहीं होगी
रख सके धैर्य तो चल
अंधेरों में उजाला ढूंढना है तुझे
अरमानों की जली, मशाल है तो चल
रास्ते गुमनाम है इस सफर में
तो ढूंढ सके रास्ता तो चल
अभी संक्षेप में है विवरण तेरा
बड़ा संदर्भ लिखना है तो चल
हो जीवन पथ पर वर्चस्व तेरा
तू चल सके तो चल ll
5.आराम कर
तेरी चाहते चाहते ही हैं
झूठे वादों में क्या भरोसा हैं
आश्वस्त रास्तों में सिर्फ एक काम कर
सच्ची झूठ से ना खुद को परेशान कर, आराम कर
खुद की ही कॉलर पकड़ी है तूने
दूसरों की कॉलर पर निगाहें टिकाई है तूने
अपनी झूठी सच्चाई पर ना एतबार कर
झूठी शान का ना यू प्रचार कर, आराम कर
पहुंचना चाहे मंजिल दम नहीं पैरों में
नींद ली बहुत अब दम नहीं ख्वाबों में
दौड़ना चाहे बहुत पर ना उठने का कष्ट कर
बुझी मशाल के जलने का ना इंतजार कर, आराम कर
write by B L Kumawat