Personality Development by Swami Vivekananda | स्वामी जी के पांच अचूक मंत्र
Personality Development Tips in Hindi

हेलो दोस्तों हर कोई इंसान चाहता है, कि उसे सम्मान मिले, कभी बेज्जती या निंदा का मुंह नहीं देखना पड़े। ऐसी स्थिति में इंसान की मर्यादा को ठेस पहुंच सकती है। दोस्तों, स्वामी विवेकानंद जी ने निंदा से बचने के 5 अचूक मंत्र (Personality Development by swami Vivekananda) बताएं जो आज आप इस आर्टिकल में पढ़ने वाले हैं।Personality Development Tips by Swami Vivekananda
दोस्तों, स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) जी देश दुनिया में पर्सनालिटी डेवलपमेंट personality development के वाहक थे। स्वामी जी के विचार इतने सरल और सहज हैं, कि आसानी से समझ जाते हैं। तथा अमल करने पर जीवन सवार देते हैं। आज के आर्टिकल में बताये जाने वाले पांच अचूक मंत्र 5 infallible mantras आपके व्यक्तित्व को निखार देंगे। स्वामी जी, ने निंदा और चुगली से बचने के 5 अचूक मंत्र बताएं जिनमें पहला है:-
1. बिना मांगे सलाह ना दें (Do not give advice without asking)
दोस्तों, भारत में हर चीज महंगी होती जा रही है। परंतु सलाह बहुत सस्ती है, निशुल्क है, और बिना मांगे मिलती है। 5 लोगों की भीड़ में 4 लोग एक को सलाह देते मिल जाएंगे। सलाह लेने वाला एक व्यक्ति उन चारों में से किसी की भी नहीं मानेगा। अपने तरीके से काम करेगा। चार लोगों की यहां पर मेहनत बेकार गई। दोस्तों स्वामी जी कहते हैं :- “बिना मांगी गई चीज का और बिना बुलाई गई मेहमानी का कोई मतलब नहीं बनता। उल्टा निंदा का कारण होता है।” दोस्तों,अगर आपके पास महत्वपूर्ण सलाह अगर है भी तो उसे बचा कर रखें। क्योंकि, जो आपकी बात पर अमल नहीं करता उसके सामने अपने समय को बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं है।
2. खुद में अचूक परिवर्तन हो (Change yourself)
दोस्तों, यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। खुद को इतना कीमती बनाओ कि आपकी निंदा आपके लिए कीमती बन जाए। जब तक इंसान कमजोर होता है। तब उसे हर कोई सलाह देता है। अगर एक इंसान मजबूत होगा, तो उसे सलाह देने वालों की भीड़ कम हो जाएगी।
स्वामी जी कहते हैं:- “खुद को इतना बदलो कि सामने वाला आपकी नींद, चुगली खाने के बजाय आप को फॉलो करें। अगर यह परिवर्तन आप कर पाते हो तो आपके निंदक भी आपका यह फैल आएंगे। “
3. दूसरे के सामने तीसरे की बुराई से बचें (Avoid the evil of the third in front of the other)
दोस्तों, आज के समय में यह एक कॉमन सी बीमारी हो चुकी है। कि दूसरे की बीमारी करना एक आदत हो चुकी है। पता नहीं क्यों इंसान को दूसरे की बुराई करना राम नाम जपने के बराबर फल देने वाली लगने लगी है। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से तीसरे व्यक्ति की बुराई बड़ी शान से करता है। यह बुराई आगे चलकर निंदा का कारण बनती है।
दोस्तों स्वामी जी कहते हैं:- “अगर खुद के घर कांच के हो तो दूसरों के घर पर पत्थर फेंकने का नहीं। अगर इंसान खुद की बुराई नहीं सुन सकता तो उसे दूसरे की बुराई करने का कोई हक नहीं है अर्थात नहीं करनी चाहिए। “
4. जिम्मेदारियों में सुख का त्याग (Renounce happiness in responsibilities)
दोस्तों, अगर एक इंसान आश्रित है और मदद की अपील रखता है। तब सामने वाले इंसान को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। यहां पर खुद के सुखों का त्याग श्रेष्ठ होगा। अगर, मदद करने का आश्वासन देकर नहीं की जाती है। तो अपयश और निंदा दोनों बढ़ने लगेगी।
स्वामी जी कहते हैं:- ”लाखों गैर जिम्मेदार लोग एक देश को डुबाने में कामयाब इसलिए नहीं होते क्योंकि, कुछ लोग जिम्मेदारी से देश की ढाल बने हुए खड़े हैं।”
इसलिए सौ गैर जिम्मेदार लोगों में वह ताकत नहीं होती जो एक जिम्मेदार व्यक्ति में होती है।
5. हर कार्य में साधुत्व रखें (Be pious in every work)
दोस्तों स्वामी जी कहते हैं:- “कर्म करना इंसान का पुरुषार्थ है। कोई भी व्यक्ति एक क्षण के लिए भी कर्म किए बगैर नहीं रह सकता। अगर एक इंसान अपने कर्म में साधुत्व का भाव रखता है। यानी दया, क्षमा, शील, मृदुलता, इमानदारी रखता है। उसके कार्य को स्वयं परमात्मा सिद्ध करते हैं।
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