महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य | महाकाल के 4 रहस्य जाने | Mahakaleshwar Mandir Ke Rahsy

“अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का” किसी ने बिल्कुल सत्य कहा है ….कालो के काल महाकाल यानी भगवान महादेव के जितने भी भक्त इस धरती पर मौजूद है उनका काल कुछ भी नही बिगाड़ सकता । क्योंकि महाकाल की कृपा अपने भक्तो पर हमेशा बनी रहती है । महाकालेश्वर मंदिर के बारे में आपने जरूर सुना होगा । महाकालेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माने जाते है। जो कि मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) जिले में स्थित है ।ऐसा कोई ही विरला होगा जिसने आज तक महाकाल के दर्शन नहीं किए। Mahakaleshwar Mandir Ke Rahsy के बारे में जानने वाले लोग लाखो की तादात में दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते है । हालाकि महाकाल के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्या आप महाकालेश्वर मंदिर के रहस्य के बारे में जानते है ।

अगर नही जानते तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको महालेश्वर मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों से अवगत कराएंगे जिनके बारे में आपने पहले कभी नही सुना होगा ….

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महाकालेश्वर मंदिर कहाँ है?

जो लोग नही जानते कि महाकालेश्वर मंदिर कहाँ है? उनकी जानकारी के लिए हम बता दे कि महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो कि मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है । माना जाता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यही वजह है जिसके चलते सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी काफी लोग यहां के रहस्यो के बारे में जानने और दर्शन लाभ के लिए आते है ।

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महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य क्या है?

महालेश्वर मंदिर के बारे में जानने के बाद अब हम बात करते है आखिर महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य क्या है? इस बारे में जानने के लिए आप जरूर उत्सुक होंगे। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित  महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। आपको बता दे कि महाकालेश्वर मंदिर प्रमुख रूप से तीन भागों में बंटा हुआ है। इसके ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है, नीचे ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे अगर आप जाएंगे तो आपको महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन होंगे हैं। जिसे गर्भगृह कहा जाता है ।

इस गर्भगृह में आपको बाबा महाकाल के साथ  गणेशजी, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं।वही इसके साथ यहां एक कुंड भी है जिसमें स्नान करने मात्र से अपने सारे पाप धुल जाते हैं। तो इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको महालेश्वर मंदिर के रहस्य के बारे में बताएंगे जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े…

महाकाल के 4 रहस्य

आज हम आपको महाकाल के 4 रहस्यों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में अधिकांश लोग नही जानते । महाकाल में आज भी लाखो की संख्या में भक्त दर्शन के लिए भक्त आते हैं। दरअसल उज्जैन के भगवान महाकाल का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहा यह दुर्लभ भस्म आरती होती है । यही वजह है कि पूरी दुनिया में आपको महाकाल की भस्म आरती और कई देखने को नहीं मिलेगी । माना जाता है कि इस आरती में शामिल होने मात्र से लोगो के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते है । वही इस आरती के दर्शन के बिना महाकाल के दर्शन भी अधूरे माने जाते है । आइए जानते है  महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में जिसके बारे में अधिकांश लोग नही जानते ……

१. महाकाल की भस्म आरती एक रहस्य

महाकाल में भस्म आरती तब से हो रही है जब से यह शिवलिंग स्थापित हुए है । बताया जाता है कि  प्राचीन काल में राजा चंद्रसेन शिव के बहुत बड़े उपासक माने जाते थे। एक दिन राजा के मुख से मंत्रो का जाप सुन एक किसान का बेटा भी उनके साथ पूजा करने गया, लेकिन सिपाहियों ने उसे दूर भेज दिया। वो जंगल के पास जाकर पूजा करने लगा और वहां उसे अहसास हुआ कि दुश्मन राजा उज्जैन पर आक्रमण करने जा रहे हैं और उसने प्रार्थना के दौरान ही ये बात पुजारी को बता दी। ये खबर आग की तरह फैल गई और उस समय विरोधी राक्षस दूषण का साथ लेकर उज्जैन पर आक्रमण कर रहे थे। दूषण को भगवान ब्रह्मा का वरदान प्राप्त था कि वो दिखाई नहीं देगा।

उस समय पूरी प्रजा ही भगवान शिव की पूजा में व्यस्त हो गई और अपने भक्तों की ऐसी पुकार सुनकर महाकाल प्रकट हुए। इसके बाद महाकाल ने अपना रौद्र रूप धारण कर दूषण राक्षस का वध किया और वध करने के बाद उसी की  राख से भगवान महादेव ने  अपना श्रृंगार किया। उसके बाद वो यहीं विराजमान हो गए। तब से भस्म आरती का विधान बन गया। 

तब से हर सुबह महाकाल की भस्म आरती करके उनका श्रृंगार होता है और उन्हें जगाया जाता है। इसके लिए वर्षों पहले शमशान से भस्म लाने की परंपरा थी, हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़‌ियों को जलाकर तैयार क‌िए गए भस्‍म को कपड़े से छानने के बाद इस्तेमाल करना शुरू हो चुका है। 

वही आपको जानकर हैरानी होगी कि महाकालेश्वर मंदिर में महिलाएं इस भस्म आरती को नहीं देख सकती । इसके लिए उन्हें आरती के समय घूंघट करना पड़ता है।  इसके साथ ही पुजारी भी मात्र एक धोती में ही आरती करते हैं। दूसरा कोई भी वस्त्र पंडित के पुजारी को पहनने की मनाही है।  महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं, इस कारण से भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है। 

2. मदिरापान करती काल भैरव की प्रतिमा

उज्जैन के काल भैरव के मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया का एक मात्र कालभैरव मंदिर ही ऐसा मंदिर है जहा भगवान शिव को शराब पिलाई जाती है।आज तक ये कोई भी नहीं जान पाया कि भगवान शिव को मदिरा पिलाने का रिवाज कब से आया और आखिर इतनी शराब जो भगवान शिव पीते हैं वो जाती कहां है।यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। अक्सर आपने देखा होगा मंदिर परिसर या उसके आस पास कभी कोई शराब की दुकान भी नही होती है । लेकिन इस मंदिर के आस पास शराब आदि की दुकानें आपको जरूर मिलेगी।  यहां श्रद्धालु मदिरा को प्रसाद के रूप में भगवान काल भैरव को चढ़ाते है ।

3. कोई राजा या मंत्री यहां एक दिन भी नहीं रुक सकता :

देवों के देव महादेव यानी महाकाल को उज्जैन का राजा कहा जाता है । महाकाल का प्राचीनकाल से चला आ रहा यह कठोर सत्य है कि यदि कोई राजा उज्जैन में एक रात भी गुजार लेता है , तो उसे अपनी सल्तनत गंवानी पड़ती थी। क्योंकि महाकाल उज्जैन के राजा है ।और उनके अलावा और कोई दूसरा राजा यहां रह भी नही सकता। यही कारण है कि कोई भी मंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन शहर की सीमा के भीतर रात गुजारने की हिम्मत भी नही करता क्योंकि उसे इस अपराध की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है ।

4. श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर एक साल में सिर्फ एक बार खुलता है:

मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर का मंदिर भी एक रहस्यमई मंदिर है। जो की महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन ही खोला जाता है , यानी कि नागपंचमी श्रावण शुक्ल पंचमी को ही ये मंदिर खुलता है और इसके बाद फिर साल भर के लिए बंद रहता है । माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।नागचंद्रेश्वर मंदिर में  11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव और पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा यह मूर्ति आपको दुनिया में कहीं भी देखने को नही मिलेगी।

जी हां दोस्तो पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। 

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के लाखो श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है ।

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उज्जैन महाकाल मंदिर का रहस्य

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित भगवान शिव को समर्पित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मंदिर का सुंदर वर्णन आपको कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। महाकालेश्वर मंदिर काफी रहस्यों से भरा हुआ है। एक के बाद एक ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में जानकर भक्त आश्चर्य चकित रह जाते हैं। तो अब हम आपको इस आर्टिकल में उज्जैन महाकाल मंदिर के रहस्य बताने जा रहे हैं । जिसे जानने के बाद आपके भी होश उड़ जाएंगे ।

  •  उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में साक्षात् महाकाल विराजमान हैं। सभी ज्योतिर्लिंगों में से सिर्फ महाकाल ज्योतिर्लिंग ही ऐसी है, जिसका मुख दक्षिण दिशा में स्थित है। 
  • सबसे बड़ा रहस्य इस ज्योतिर्लिंग के नाम में है। आखिर भगवान शिव को यहां महाकाल क्यों कहा जाता है? दरअसल काल का दो अर्थ है- समय और मृत्यु। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव मृत्यु और काल के देवता हैं। काल और मृत्यु दोनों को परास्त करने वाला महाकाल कहलाता है। भगवान शिव समय और मृत्यु पर विजय प्राप्त करते हैं, इसलिए उन्हें इस नाम से बुलाया जाता है।
  • बताया जाता है कि कुछ राजाओं और आक्रमणकारियों के समय इस मंदिर में मौजूद असली शिवलिंग को कई बार नष्ट करने की कोशिश की गई थी, जिससे बचने के लिए पुजारियों ने असली शिवलिंग को वहां से हटा दिया और एक दूसरा शिवलिंग रखकर पूजा करने लगे। इसके बाद जब असली शिवलिंग को वापस स्थापित किया गया तो हटाई गई शिवलिंग को मंदिर के ही प्रांगण में स्थापित कर दिया गया। इसे जूना महाकाल कहते हैं।
  • बताया जाता है कि महाकाल मंदिर में कमजोर दिल के इंसान को नहीं जाना चाहिए क्योंकि उस मंदिर में प्रवेश करने के बाद मनुष्य के पाप पुण्य के ज्ञात हो जाता है ,उसने क्या पाप किया है यह सब मंदिर प्रवेश करने के बाद धीरे-धीरे आभास होने लगता है । एक ऐसी ऊर्जा उत्पन्न होती है कि कोई भी व्यक्ति  कमजोर  मन  वाले उसे सहन नहीं कर पाएंगे उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है । इसलिए दिल के कमजोरी आदमी कभी भी उस मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए । माना जाता है कि मंदिर में ज्योतिर्लिंग को दर्शन करने के बाद मनुष्य के मन की सोच बदल जाती हैं ।

हमे आशा है की हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल आपको महाकाल से जुड़ी सारी जानकारी दे पाया है ।अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे अपने करीबी दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले।

FAQ’s महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य

Q. महाकालेश्वर मन्दिर कहा स्थित है?

Ans. महाकालेश्वर मन्दिर मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है।

Q. काल भैरव को कौनसा प्रसाद चढ़ता है ?

Ans. काल भैरव को मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है ।

Q. महाकाल ज्योतिर्लिंग कौनसे मुख में विराजित है?

Ans. महाकाल ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुख में विराजित है।

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