नीम करोली बाबा के शिष्य | Neem Karoli Baba Shishya

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Neem Karoli Baba Shishya
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नीम करोली बाबा के शिष्य | Neem Karoli Baba Shishya

Neem Karoli Baba

हिंदू धार्मिक गुरूओं में बाबा नीम करोली का नाम काफी जाना पहचाना नाम है। नैनीताल के कैंची धाम में बाबा का आश्रम है। जहां उनके कई शिष्य आकर रहे, आश्रम में सेवा की साथ ही हनुमानन जी की भी भक्ति की। बाबा के चमत्कारों के कारण उनके भक्त उनके मुरीद हो जाते है। बाबा के कई भक्त देश में कई ज्यादा भक्त या शिष्य (Neem Karoli Baba Shishya) विदेशों में भी है। कोमा में चले जाने के बाद 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में नीम करोली बाबा की मृत्यु हो गई थी। उनके शिष्य रामदास (Ramdas) और लैरी ब्रिलिएंट (Larry Brilliant) ने बर्कले कैलिफोर्निया में सेवा फाउंडेशन की स्थापना की थी।

आज हम बाबा के शिष्यों के बारे में आपको जानकारी देंगे। नीम करोली बाबा के शिष्य (neem karoli baba shishya), नीम करोली बाबा के गुरु (Neem Karoli Baba ke Guru),  बाबा नीम करोली के कुछ मशहूर शिष्य कौन है? (famous shishya), नीम करोली बाबा के शिष्य कहाँ रहते है? , नीम करोली बाबा के शिष्य का जीवन परिचय या उनकी कहानी कि वे कैसे बाबा से मिलें। ये सब जानने के लिए हमारा आर्टिकल आखिरी तक जरुर पढ़े।

नीम करोली बाबा के गुरु | Neem Karoli Baba ke Guru

बीसवीं सदी का महान गुरु और दिव्यदर्शी माना गया है। वे हनुमान जी की पूजा किया करते थे लेकिन बाबा के भक्त उन्हें ही हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा ने 108 हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण कराया। 17 साल की उम्र में ही बाबा ने घर छोड़ कर साधुओं की तरह विचरण करना शुरू कर दिया था, इसी उम्र में ही उन्हें ज्ञान प्राप्ति भी हुई। ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस आश्रम में हनुमान जी के अलावा भगवान राम-सीता माता और देवी दुर्गा के भी छोटे-छोटे मंदिर है। 17 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया था।

भगवान श्री हनुमान उनके गुरु थे। जब भी कोई भक्त बाबा नीम करौली के पैर छूता था तो वह उसे मना कर देते थे और भगवान हनुमान के पैर छूने के लिए कहा करते थे। लाखों फॉलोअर्स के बावजूद वे आडंबर से दूर रहना पसंद करते थे और एक आम इंसान की तरह ही रहा करते थे। नैनीताल में बाबा नीम करोली की समाधि के पास भगवान हनुमान की मूर्ति की स्थापना भी की गई है।

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Neem Karoli Baba Shishya

लेख के बारे मेंनीम करोली बाबा
मुख्य जानकारीनीम करोली बाबा के शिष्य
राज्यउत्तराखंड
जिलानैनीताल
शिष्य का नामबाबा रामदास, नारायण बाबा, मार्क जुकरबर्ग, लैरी ब्रिलिएंट व अन्य
नीम करौली मंदिरहनुमान जी का
लोकहित में संगठनसेवा फाउंडेशन
हेडक्वाटरबर्कले, कैलिफॉर्निया
Official Websitehttps://nkbashram.org/
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बाबा नीम करोली के कुछ मशहूर शिष्य कौन है?

नीम करोली बाबा के प्रसिद्ध शिष्य की बात करें तो कई नाम सामने आते हैं। जिनमें आध्यात्मिक शिक्षक रामदास जिन्होंने बाबा नीम करोली पर कई किताबें लिखी है। गायक और आध्यात्मिक शिक्षक भगवानदास, लेखक और ध्यान शिक्षक लामा सूर्य दास और संगीतकार जय उत्तर और कृष्णदास शामिल है वहीं इनके अन्य भक्तों में मानवतावादी लैरी ब्रिलियंट और उनकी पत्नी गिरिजा दादा मुखर्जी जोकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रहे हैं। इन सबके अलावा इन सबके अलावा स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) लैरी पेज (Larry Page) जूलिया रॉबर्ट्स (Julia Roberts) के नाम भी शामिल है।

Neem Karoli Baba मार्क जुकरबर्ग के गुरु के तौर पर भी करोली बाबा खासे मशहूर है। मार्क जुकरबर्ग कई दिनों तक बाबा के आश्रम में भी रहे। बाबा की कृपा से आज वे सफल व्यक्ति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एप्पल के संस्थापक और बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड की कई हस्तियां भी बाबा के दर्शन के लिए उनके आश्रम पहुंच चुकी है। अमेरिकी बिजनेस टायकून और एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स को भी बाबा नीम करोली के प्रति गहरी श्रद्धा है।

नीम करोली बाबा के शिष्य कहाँ रहते है

बाबा के कई शिष्य रहे है, जिन्होंने बाबा की कृपा पाकर अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया तो कई लोगों ने हनुमान जी और बाबा की सेवा में उसे समर्पित कर दिया। बाबा के चमत्कारों के कारण बाबा की प्रसिद्धि देश में ही नहीं विदेशों में भी देखी जा सकती है। बाबा के कई शिष्य बाबा के आश्रम में भी कुछ समय रहे। कई शिष्य अब भी विदेशों में रह रहे है। जिनमें अधिकतर अमेरिकी शिष्य है। देश में भी बाबा के कई शिष्य है जो देशभर में कई जगहों पर रहें, विभिन्न आश्रमों में रहकर मानव जाति का कल्याण किया। नारायण बाबा भी इनमें से एक है। कहा जाता है कि उनका जन्म ही हनुमान सेवा के लिए हुआ था। नीम करोली बाबा के शिष्य का जीवन परिचय या उनके जीवन से जुड़ी कहानियां नीम करोली बाबा नीम करोली बाबा के कई शिष्य रहे रहे।

60 और 70 के दशक में भारत आने वाले बहुत से अमेरिकियों के गुरु के रूप में नीम करोली बाबा को जाना जाता है। बाबा नीम करोली के कई शिष्य थे जिनमें रिचर्ड एलपर्ट भी एक था, जिसने बाबा से प्रभावित होकर अपना नाम रामदास रख लिया। रामदास, बाबा नीम करोली का विदेशी शिष्य था वह बहुत बड़ा नशेबाज था। वो हावर्ड युनिवर्सीटी में प्रोफेसर था और एक रिसर्च के दौरान नशे के संपर्क में आया था। वह एक दिन में 2 से 3 एलएसडी निगल सकता था।

एक दिन वह बाबा नीम करोली के आश्रम आया और उनसे बोला कि मेरे पास एक असली माल है जो स्वर्ग का आनंद देता है। इसे खाने से ज्ञान के सारे रास्ते खुल जाते हैं। नीम करोली बाबा ने पूछा कि क्या है मुझे भी बताओ जिसके बाद रामदास ने उन्हें कुछ गोलियां दी, जिन्हें बाबा ने मुंह में डाला और निगल लिया।

नीम करोली बाबा के शिष्य कौन थे

जिसके बाद रामदास इस उम्मीद में बैठा था कि यह आदमी अभी मरने वाला है लेकिन बाबा आराम से वहां बैठ कर अपना काम करते रहे मगर नीम करोली बाबा पर एलएसडी का कोई असर नहीं दिखा। वह काम करते रहे उनका मकसद बस रामदास को यह बताना था कि तुम एक फालतू सी चीज पर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो। यह चीज तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाली है। उस अमेरिकी पर बाबा ने ऐसा प्रभाव डाला वह नीम करोली बाबा का शिष्य बन गया। बाब ने नाम ही रिचर्ड का नाम बाबा रामदास रख दिया। उसने बाबा पर एक किताब लिखी जिसमें उसने इस चमत्कार का जिक्र किया है.

नारायण बाबा (NARAYAN BABA) बाबा नीम करौली के शिष्य थे और हनुमान जी की सेवा में उन्होंने अपना जीवन व्यतीत किया। राजस्थान के अलवर जिले में एक बार एक तहसीलदार को एक गडरिया ने कहा कि आप दौसा के बालाजी हनुमान मंदिर जाकर बेटा मांग लो मिल जाएगा। जिसके बाद तहसीलदार ने ऐसा ही किया और मंदिर जाकर कहा कि अगर मेरा बेटा होगा तो मैं उसे सेवा के लिए यहीं छोड़ जाऊंगा। मन्नत मांगने के एक साल बाद ही उन्हें बेटा हो गया लेकिन बाद में बाप का प्यार आगे आ गया और उसने हनुमान जी से कहा कि मैं अपना बेटा आपको नहीं दे सकता और यह ऋण मुझ पर रहेगा। बालक का नाम नारायण स्वामी था। उसे रामायण कंठस्थ थी।

Neem Karoli Baba Shishya

एक बार दिल्ली के बिरला मंदिर में हनुमान को रामायण पढ़कर सुनाने का विज्ञापन आया। उसके लिए व्यक्ति का टेस्ट खुद बिरला लेंगे। तय तारीख पर नारायणस्वामी अपने पत्नी के साथ बिरला निवास पहुंच गए। बिरला के अनुग्रह पर नारायण ने हारमोनियम पर रामायण सुना दी। जिसे सुनकर बिरला मंत्रमुग्ध हो गए और उनकी नौकरी पक्की हो गई। जिसके बाद उनके जीवन में काफी सुकून और आराम हो गया .

नीम करोली बाबा बिरला के गुरु थे। वे एक बार वृंदावन से दिल्ली आए तब बिरला ने उन्हें प्रसन्न करने के लिए रामायण का पाठ रख दिया। जब नीम करोली बाबा नारायणस्वामी से मिले तो उन्होंने कहा कि तेरे बाप ने हनुमान से धोखा किया है और वह हनुमान जी का ऋणी है। जिसके बाद नारायणस्वामी को असलियत का पता चला। उन्होंने नीम करोली बाबा को अपना गुरु स्वीकार कर लिया। नीम करोली बाबा ने आदेश दिया कि नारायण तेरा जन्म हनुमान की सेवा के लिए हुआ है इसलिए लाला की नौकरी छोड़कर हनुमान की सेवा में लग जा। जिसके बाद नारायण बाबा ने बिरला की नौकरी छोड़ दी और एक गुप्त मंदिर में आश्रय लिया।

नीम करोली बाबा ने आदेश दिया कि किसी से एक भी रुपया नहीं लेना है और हर साल नवरात्र में लोगों का भंडारा करना है। गुरु का आदेश मानकर नारायण बाबा ने अपना काम शुरू कर दिया। अजीबोगरीब बात है 1969 से अब तक इस मंदिर में हर साल 2 बार नवरात्र में हजारों लोग भंडारा खाकर जाते हैं किसी को आज तक इस मंदिर में पैसे चढ़ा कर नहीं देखा गया लेकिन हां प्रसाद सबको लेते देखा है।

FAQ’s Neem Karoli Baba Shishya

Q. नारायण बाबा कौन है?

नारायण बाबा, नीम करोली बाबा के शिष्य है। जिनका असली नाउम नारायणस्वामी है। नीम करोली बाबा से मिलकर ही उन्हें मालूम हुआ कि उनका जन्म हनुमान सेवा के लिए ही हुआ है। पहले वे दिल्ली के बिरला मंदिर में रामायण का पाठ सुनाया करते थे।

Q. रामदास कौन है?

रामदास का असली नाम रिचर्ड एलपर्ट था। वह हावर्ड युनिवर्सीटी में प्रोफेसर था। लेकिन बाद में नशेबाजी करने लगा। बाबा से मिलकर उसके जीवन को नई दिशा मिली। उसने बाबा के चमत्कारों पर करीब 15 किताबें लिखी और अमेरिका में बाबा के उपदेशों को पहुंचाया। बाबा से प्रभावित होकर वह बाबा का शिष्य बन गया। बाबा ने ही उसे बाबा रामदास नाम दिया था।

Q. सेवा फाउंडेशन की स्थापना किसने की?

बाबा नीम करोली के शिष्य रामदास और लैरी ब्रिलिएंट ने बर्कले, कैलिफोर्निया में सेवा फाउंडेशन की स्थापना की थी। स्टीव जॉब इसे मुख्य योगदान कर्ता के रुप में मदद करते है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।

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